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Mala Singh

Born in 1957 in Arrah district of Bihar, Mala Singh completed her schooling from there itself. She got her degree from Magadh University. Presently she resides in Bokaro, Jharkhand and is a homemaker with a keen interest in reading and writing. This is her second book, first published book being " Anubhavo ki bayanbazi " which is a collection of poems.

Panchphoran Ki Sugandh

"पंचफोरन की सुगंध " - नाम से हीं आभास हो जाता है कि यह एक हाउस वाइफ की लिखी रचनाएं हैं जो दाल-सब्जी में छौंक लगाते, घर के काम निबटाने, खिड़की से आस पड़ोस में झांकते, घर आये लोगों की बातों से, ज़िन्दगी को समझने के दौरान अंखुआई और फिर अनुकूल समय पा कर पुष्पित पल्लवित हो गई। जैसी साधारण सी गृहणी, वैसी हीं सरल, पर जीवन से भरी कहानियां, जो मेरी आपकी किसी की हो सकती है। इस उम्र में लिखने की लगन और जिद ने हीं अनुभवों को कहानी के रूप में ढालने को मजबूर किया। थोड़ा भय होता है पाठक के पसन्द नापसन्द का पर अपनी उम्मीद और मेहनत पर यकीन कर आगे कदम बढा ली हूं। आप हाथ बढ़ा दें।

किसी ने खूब कहा है-

होने लगी है जिस्म में

जुम्बिस तो देखिए

इक परकटे परिंदे की

कोशिश तो देखिए। ।

Khatti-Meethi Zindagi

जिन्दगी किसी को हो, अनेक पड़ावों से गुजरती है। हर जिन्दगी रामायण महाभारत सरीखा ही एक मोटे से ग्रन्थ जैसा कथ्य समेटे रहती है अपने अंदर। कितने अध्याय, कितने कांड, कितने रंग-रस-भाव। तो काल्पनिक सी एक जिन्दगी, जिसमें इधर उधर के पात्र आ आ कर अपनी कथा-कहानी-अनुभव कानों मे कहते गये और उन आवाजों को शब्दों का जामा पहना एक आकार दे दी हूं बस। आपको अच्छा लगा तो मेहनत का फल समझ स्वीकार कर लूंगी। ये कोई बडे से लेखक की नही, पैंसठ साल की औरत की बडबडाहट सरीखी पहली कहानी संग्रह है। इसके पहले कुछ टूटी-फूटी सी कविताएं लिखी थी। पाठको ने उसे पंसद किया, शायद इसे भी प्यार दें। 

Anubhawon ki Bayanbazi
जिन्दगी जीने के दौरान जो कुछ भाव जागे, कुछ प्रश्न उगे, कुछ कोमल कुछ कठोर उन्हें शब्दों में लिख दी। जमा हो कविता बन गये और अब आपके सामने है। अगर पसन्द आये पाठक को तो कोशिश मेरी सफल होगी।